(Download) जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं PDF

आज आपको यहां पर जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं PDF मिलने वाला है। इस टॉपिक से Teaching के प्रत्येक Exam में Question पूछे जाते हैं। PDF अलावा आपको यहां पर इस टॉपिक से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु के बारे में पढ़ने को मिल जायेंगे। 

जीन पियाजे की चार अवस्थाएं :-

☸️संवेदिक पेशीय अवस्था – यह अवस्था जन्म से लेकर दो वर्ष तक होती है।
☸️पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था – यह अवस्था दो वर्ष से लेकर सात वर्ष तक होती है।
☸️मूर्त संक्रियात्मक अवस्था – यह अवस्था सात वर्ष से लेकर बारह वर्ष तक होती है।
☸️अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था – यह अवस्था बारह वर्ष से लेकर पंद्रह वर्ष तक होती है।

संज्ञान का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?

अगर आपके मन में ये क्वेश्चन उठ रहा है कि संज्ञान का अर्थ क्या होता है तो आप बिलकुल भी टेंशन न लें। संज्ञान का सिंपल अर्थ होता है किसी भी चीज को जानना या समझना। एक प्रकार से संज्ञान का तात्पर्य बालक के बुद्धि से है। 

संज्ञानात्मक विकास को इंग्लिश में Cognitive Development कहते हैं।

जीन पियागेट सिद्धांत (संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत) :-

संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत जीन पियाजे ने दिया था। जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न समय पर होता है।

जिन पियाजे का मानना था कि बालक का विकास बचपन की अवस्थाओं से जुड़ा हुआ है। बालक के विकास में बचपन की अवस्था मुख्य रूप से भूमिका निभाता है।

यह सिद्धांत ज्ञान की प्रकृति के बारे में बताता है। बालक अपने ज्ञान को किस तरह से विकसित करता है। वह अपने ज्ञान किस प्रकार से अर्जित करता है। और वह किस तरह से उपयोग करता है।

बालक अपने आस-पास के वातावरण के संकेतों की सहायता से पहचानने और समझने का प्रयास करता है। और उसके बारे अमूर्त चिन्तन करता है। इस तरह से वह एक-एक करके अपने ज्ञान के भंडार को बढ़ाता है।

 

जीन पियाजे के अनुसार बच्चे अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था में परिकल्पित निगमनात्मक तर्क और प्रतिज्ञप्ति चिंतन करने में समर्थ होते हैं।

 

वाइगोत्सकी के अनुसार संज्ञानात्मक विकास क्या होता है ?

वाइगोत्सकी के अनुसार कोई भी बालक अपने समाज से बहुत कुछ सीखता है। सीखने के लिए वह समाज के प्रत्येक इकाई से इंटरैक्शन करता है। उनके अनुसार प्रत्येक समाज की संस्कृति भिन्न होती है।

बालक का संज्ञानात्मक विकास अन्य लोगों के साथ अन्तर्सम्बन्ध पर आधारित होता है। इसी सिद्धांत को वाइगोत्सकी ने संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत का नाम दिया है।

 

पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की दूसरी अवस्था कौन-सी है ?

जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की दूसरी अवस्था पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था है। जो दो वर्ष से लेकर सात वर्ष तक की होती है।

 

जीन पियाजे की चार अवस्थाएं In English :-

1. Sensory Motor
2. Pre-Operational
3. Concrete Operational
4. Formal Operational

 

संज्ञानात्मक विकास का अर्थ : – 

संज्ञानात्मक विकास मनोविज्ञान का एक अध्ययन क्षेत्र है। जिसमें बालक का मस्तिष्क का विकास और भाषा सीखने से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा ज्ञान के अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। संज्ञानात्मक एक बौद्धिक प्रक्रिया है। जिसमें बालक विचारों के माध्यम ज्ञान को अर्जित करते हैं।

 

क्या आप जानते हैं ?

1. गांधी इरविन समझौता कब हुआ था ?

2. चिपको आंदोलन से आप क्या समझते हैं ?

 

Conclusion – इस टॉपिक में मुख्य रूप से बताया गया है कि बालक अपने ज्ञान का विकास किस तरह से करता है। इसके अलावा जीन पियाजे की अवस्था और संज्ञानात्मक विकास का अर्थ के बारे बताया गया है।

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